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May 17, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 45

वेअरहाऊमे निचे मॉनिटरके सामने अचेतन अवस्थामें पडे सॅमके सामनेसे मानो एक एक प्रसंग फ्लॅशबॅककी तरह जाने लगा ....


.... नॅन्सी और जॉन रास्तेके किनारे पडे एक ड्रेनेज पाईपमें छिपे हुए थे. इतनेमे अचानक उन्हे उनकीतरफ आता हूवा किसीके दौडनेका आवाज सुनाई दिया. वे अब हिल डूल भी नही सकते थे. उन्होने अगर उन्हे ढूंढ लिया तो वे बुरी तरह उनके कब्जेमें फंसने वाले थे. उन्होने बिल्लीकी तरह अपनी आंखे मुंद ली और जितना हो सकता है उतना उस छोटीसी जगहमें सिकुडनेका प्रयास किया. उसके अलावा वे कर भी क्या सकते थे. ?

अचानक उनको अहसास हूवा की उनका पिछा करने वालोंमेसे एक दौडते हूए उनके पाईपके एकदम पास आकर पहूंचा है. वह नजदिक आतेही जॉन और नॅन्सी एकदम शांत होकर लगभग सांस रोके हूए स्तब्ध होकर वैसेही बैठे रहे. वह अब पाईपके काफी पास पहूंच गया था.

वह उन चारोंमेसेही एक, स्टीव्हन था. उसने इर्दगिर्द अपनी नजरें दौडाई.

'' कहां गायब होगए साले?'' वह खुदपरही झल्ला उठा.

इतनेमें स्टीव्हनका ध्यान पाईपकी तरफ गया.

जरुर साले इस पाईपमें छूपे होंगे....

उसने सोचा. वह पाईपके और पास गया. वह अब झुककर पाईपमें देखनेही वाला था की इतनेमें ...

'' स्टीव... जल्दी इधर आवो '' उधरसे क्रिस्तोफरने उसे आवाज दिया.

स्टीव्हन पाईपमें देखनेके लिए झुकते हूए रुक गया, उसने आवाज आया उस दिशामें देखा और पलटकर वह दौडते हूए उस दिशामें निकल गया.

जा रहे कदमोंका आवाज सुनतेही नॅन्सी और जॉनने राहतकी सांस ली.

स्टीव्हन जातेही जॉनने अपने जेबसे मोबाईल निकाला. उसने कोई उन्हे ट्रेस ना करे इसलिए फोन स्वीच ऑफ करके रखा था. उसने वह स्वीच ऑन किया और एक नंबर डायल किया.

'' किसको फोन कर रहे हो ?'' नॅन्सीने दबे स्वरमें पुछा.

'' अपना क्लासमेट ऍंन्थोनी... वह इसी गावका है ''

उतनेमें फोन लग गया, '' हॅलो''

'' अरे क्या जॉन कहांसे बोल रहे हो... सालो तुम लोग कहां गायब हो गए हो ... इधर सारे लोग कितने परेशान हो गए है ...'' उधरसे ऍंथोनीने कहा.

जॉनने उसे संक्षीप्तमें सब बताया और कहा, '' अरे हम यहां एक जगह फंसे हूए है ...''

'' फंसे ? कहां .?'' ऍंन्थोनीने पुछा.

'' अरे कुछ बदमाश हमारा पिछा कर रहे है ... हम लोग अब कहां है यह बताना जरा मुश्कील है....'' जॉन बोल रहा था. इतनेमें नॅन्सीने उसका ध्यान अपनी तरफ खिंचते हूए टॉवरकी तरफ इशारा किया.

'' ... हां यहांसे एक टॉवर दिख रहा है जिसपर घडी लगी हूई है ... उसके आसपासही कहीं हम छिपे हूए है...'' जॉनने उसे जानकारी दी.

'' अच्छा... अच्छा... चिंता मत करो, पहले अपना दिमाग शांत करो और अपने आपको संवारो... और इतने बडे शहरमें वे बदमाश तुम्हारा कुछ बिगाड सकते है यह डर दिलसे पुरी तरह निकाल दो... हां निकाल दिया? "' उधरसे ऍंन्थोनीने पुछा.

'' हां ठिक है...'' जॉनने कहा.

'' हं गुड... अब कोई टॅक्सी पकडो और उसे हिल्टन हॉटेलको ले जानेके लिए कहो... वह वही कही नजदिक उसी एरियामें है ...''

इतनेमें उन्हे इतनी देरसे कोई वाहन नही दिखा था, दैवयोगसे एक टॅक्सी उनकी तरफ आती हूई दिखाई दी.

'' टॅक्सी आयी है ... अच्छा तुम्हे मै बादमें फोन करता हूं ... '' जॉनने जल्दीसे फोन कट कर दिया.

वे दोनोभी जल्दी जल्दी पाईपके बाहर आगए और जॉनने टॅक्सीको रुकनेका इशारा किया. जैसेही टॅक्सी रुक गई वैसे दोनो टॅक्सीमें घुस गए.

'' हॉटेल हिल्टन'' जॉनने कहां और टॅक्सी फिरसे दौडने लगी.

टॅक्सी निकल गई तो दोनोंके जान में जान आ गई. उन्होने राहतकी सांस ली.


क्रमश:...

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