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March 6, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 25

पोलिस स्टेशनमें डिटेक्टीव्ह सॅमके खाली कुर्सीके सामने एक आदमी बैठा हूवा था. सॅम जल्दी जल्दी वहां आकर अपनी कुर्सीपर बैठ गया.

'' हां ... तो आपके पास इस केसके संदर्भमें कुछ महत्वपुर्ण जानकारी है ?...'' सॅमने पुछा.

'' हां साब ''

सॅमने एकबार उस आदमीको उपरसे निचेतक देखा और फिर वह क्या बोलता है यह सुनने लगा.

'' साब हमारे पडोसमें वह लडकी नॅन्सी, जिसका खुन होगया ऐसा बोलते है, उसका भाई रहता है....'' उस आदमीने शुरवात की और वह आगे पुरी कहानी कथन करने लगा ....


... एक चालमें एक घर था. उस घरको चारो तरफ कांचकी खिडकीयां ही खिडकीया थी. इतनीकी उस घरमें क्या चल रहा है वह पडोसीकोभी पता चले. एक खिडकीसे हॉलमें नॅन्सीका भाई जॉर्ज बैठा हूवा दिख रहा था. अब वह पहलेसे कुछ जादाही अजीब और पागल जैसा लग रहा था. दाढी बढी हूई, बाल बिखरे हूए. मस्तकपर एक बडासा कीसी चिजका टीका लगा हूवा. वह फायरप्लेसके सामने हाथमें एक कपडेका गुड्डा लेकर बैठा हूवा था. शायद वह गुड्डा उसनेही बनाया हूवा होगा. बगलमें रखे प्लेटसे उसने हाथसे कुछ उठाया और वह कुछ तंत्र-मंत्र जैसे शब्द बुदबुदाने लगा,

'' ऍबस थी बा रास केतिन स्तता...''

उसने प्लेटसे जो उठाया था वह सामने फायरप्लेसके आगमें फेंक दिया. आग भडक उठी. फिरसे वह वैसेही कुछ विचित्र तंत्र-मंत्र बोलने लगा.

'' कॅटसी... नतंदी.. वाशंर्पत... रेर्वरात स्तता...''

फिरसे उसने उस प्लेटसे धान जैसा कुछ अपने हाथमें उठाकर उस आगके स्वाधीन किया. इस बार आग और जोरसे भडक उठी.

उसने अपने हाथसे वह गुड्डा वही बगलमें रख दिया. आगके सामने झुककर, फर्शपर अपना मस्तक घिसा.


एक आदमी पडोससे जॉर्जके घरमें क्या चलरहा है यह उत्सुकतावश देख रहा था.


मस्तक घिसनेके बाद जॉन उठकर खडा हूवा और अजिब तरहसे जोरसे चिखा. जो पडोससे झांककर देख रहा था वहभी एक पलके लिए डर और सहम गया. जॉनने झुककर बगलमें रखा हूवा वह गुड्डा उठाया और फिरसे एकबार जोरसे अजिब तरहसे चिल्लाया. सब तरफ एक अजीब, अद्भूत सन्नाटा छा गया.

'' अब तू मरनेके लिए तैयार हो जा स्टीव्हन..'' जॉर्जने उस गुड्डेसे कहा.

'' नही ... नही ... मुझे मरना नही है इतने जल्दी... जॉर्ज मै तुम्हारे पैर पडता हू... मुझे माफ कर दे... आय ऍम सॉरी... मैने जो किया वह गलत किया... मुझे अब उसका अहसास हो गया है... मै तुम्हारे लिए तुम जो कहोगे वह करुंगा.... लेकिन मुझे माफ कर दो.... '' जॉर्ज मानो वह गुड्डा बोल रहा है वैसे उस गुड्डेके संवाद बोल रहा था.

'' तुम मेरे लिए कुछभी कर सकते हो? ... तुम मेरे बहनको वापस ला सकते हो?'' जॉर्जने अब उसके खुदके संवाद बोले.

'' नही ... मै वह कैसे कर सकता हूं ?... वह अगर मेरे हाथमें होता तो मै जरुर करता... वह एक चिज छोडकर कुछ भी मांगो... मै तुम्हारे लिए करुंगा... '' जॉर्ज गुड्डेके संवाद बोलने लगा. .

''अछा... तो फिर अब... मरनेके लिए तैयार हो जावो... '' जॉर्जने उस गुड्डेसे कहा.


वह पडोसका आदमी अबभी जॉर्जके खिडकीसे छुपकर अंदर झांक रहा था.


आधी रात होकर उपर काफी समय गुजर चूका था. बाहर रास्तेपर कोईभी दिख नही रहा था. जॉर्ज धीरेसे अपने घरसे बाहर आया. चारो ओर एक नजर घुमाई. उसके हाथमें एक थैली थी जिसमें उसने वह गुड्डा ठूंस दिया. और दरवाजेको ताला लगाकर वह बाहर निकल गया. कंपाऊंडके बाहर आते हूए उसने फिरसे अपनी पैनी नजर चारोओर दौडाई. सामने रास्तेपर जिधर देखो उधर अंधेराही अंधेरा छाया हूवा दिख रहा था. अब रास्ते से वह तेजीसे अपने कदम बढाते हूए चलने लगा. उस पडोसके आदमीने अपने खिडकीसे छूपकर जॉनको बाहर जाते हूए देख लिया. जैसेही जॉर्ज रास्तेपर आगे चलने लगा वह आदमी अपने घरसे बाहर आ गया. वह आदमी उसे कुछ आहट ना हो या वह उसे दिखाई ना दे इसका खयाल रख रहा था. जॉर्ज तेजीसे अपने कदम आगे बढाते हूए चल रहा था. जॉर्ज काफी आगे निकल जानेके बाद वह आदमी उसका पिछा करते हूए उसके पिछे पिछे जाने लगा.

वह आदमी जॉर्जका पिछा करते हूए कब्रस्तानतक पहूंच गया. कब्रस्तानके आसपास घने पेढ थे. शायद उसी पेढोंमे छुपकर उल्लू मुर्दोंकी राह देखते होंगे. कही दूर कुत्तोंकें रोनेजैसी अजीबसी आवाजें आ रही थी. उस आदमीको इस सारे मौहोलका डर लग रहा था. लेकिन उसे जॉर्ज यहा किसलिए आया है यह जानना था. जॉर्ज कब्रस्तानमें घुस गया और वह आदमी बाहरही कंपाऊंड वॉलके पिछे छूपकर जॉर्ज क्या कर रहा है यह देखने लगा. चांदके रोशनीमें उस आडमीको जॉर्जका साया दिख रहा था. जॉर्जने एक जगह तय की और वह वहा खोदने लगा. एक गड्डा खोदनेके बाद उसने उसके थैलीसे वह गुड्डा निकाला. उस गुड्डेको जॉर्जने ऐसा दफन किया की मानो वह गुड्डा ना होकर कोई शव हो. वह उपरसे मट्टी डालने लगा और मट्टी डालते वक्तभी उसका कुछ मंत्र तंत्र जैसा बुदबुदाना अबभी जारी था. उस गुड्डेके उपर मट्टी डालनके बाद जब वह गड्डा मट्टीसे भर गया तो जॉर्ज उस मट्टीपर खडा होकर उसे अपने पैरोसे दबाने लगा... .


... वह आदमी कथन कर रहा था और डिटेक्टीव सॅम ध्यान देकर सुन रहा था. उस आदमीने आगे कहा -

'' दुसरे दिन जब मुझे पता चला की स्टीव्हनका कत्ल हो चूका है तब मुछे विश्वासही नही हुवा ''

काफी देर तक कोई कुछ नही बोला. अब इन सारी बातोंने एक नयाही मोड लिया था.

सॅम सोचने लगा.

'' तुम्हे क्या लगता है जॉर्ज खुनी होगा?'' सॅमने अपने इन्व्हेस्टीगेटरकी भूमीकामें प्रवेश करते हूए पुछा.

'' नही .. मुझे लगता है की वह उसका काला जादू इन सारे कत्ल करनेके लिए इस्तेमाल करता होगा.... क्योंकी जिस दिन पॉलका कत्ल हूवा उसके पहले दिन रातको जॉर्जने वैसाही एक गुड्डा बनाकर उसे कब्रस्तानमें दफन किया था. '' उस आदमीने कहा.

'' तुम इन सारी चिजोंमे विश्वास रखते हो.?'' सॅमने थोडा व्यंगात्मक ढंगसेही पुछा.

'' नही .. मै विश्वास नही रखता ... लेकिन जो अपनी खुली आंखोंसे सामने दिख रहा हो उन चिजोंपर विश्वास रखनाही पडता है '' उस आदमीने कहा.

डिटेक्टीव्ह सॅमका पार्टनर जो इतनी देरसे दूरसे सब उनकी बाते सुन रहा था, चलते हूए उनके पास आकर बोला -

'' मुझे पहलेही शक था की कातिल कोई आदमी ना होकर कोई रुहानी ताकद है ''

सारे कमरेंमे एक अनैसर्गीक सन्नाटा फैल गया.

'' अब उसने और एक नया गुड्डा बनाया हूवा है '' उस आदमीने कहा.


क्रमश:...

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