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March 6, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 19

हॉटेलके एक कमरेमे नॅन्सी और जॉन बेडपर एकदुसरेके आमने सामने बैठे थे. जॉनने नॅन्सीके चेहरेपर आती बालोंके लटोंको एक तरफ हटाया.

'' मुझे तो डरही लगा था की शायद हम उनके चंगुलमें ना फंस जाए'' नॅन्सीने कहा.

वह अभीभी उस भयानक मनस्थीतीसे बाहर नही निकल पाई थी.

'' देखो .. मेरे होते हूए तुम्हे चिंता करनेकी क्या जरुरत ?... मै तुम्हे कुछभी नही होने दुंगा... आय प्रॉमीस'' वह उसे सांत्वना देनेकी कोशीश करते हूए बोला.

उसने मंद मंद मुस्कुराते हूए उसके तरफ देखा.

सचमुछ उसे उसके इस शब्दोंसे कितना अच्छा लगा था. ...

धीरेसे जॉन उसके पास खिसक गया. नॅन्सीने उसकी आंखोमें देखा. जॉनभी अब उसकी आंखोसे अपनी नजरे हटानेके लिए तैयार नही था. धीरे धीरे उनके सांसोकी गति बढने लगी. हलकेही जॉनने उसे अपनी बाहोंमें खिंच लिया. उसेभी मानो उसकी सुरक्षीत बाहोमें अच्छा लग रहा था.

जॉनने धीरेसे उसे बेडपर लिटाकर उसका चेहरा अपनी हाथोंमे लेकर वह उसकी तरफ एकटक देखने लगा. धीरे धीरे उसकी तरफ झुकता गया और उसके गर्म होंठ अब उसके कांपते होंठोपर टीक गए. दोनोभी बेकाबु होकर एकदुसरेको आवेगमें चुमने लगे. इतने आवेगमेंकी वे दोनो 'धपाक' से बेडके निचे फर्शपर गिर गए. नॅन्सी निचे और उसके उपर जॉन गिर गया. दर्दसे कराहते हूए नॅन्सीने उसे दूर धकेला,

'' मेरी क्या हड्डीयां तोडोगे? '' वह कराहते हूए बोली.

जॉन झटसे उठ गया और उसे उपर उठानेका प्रयास करने लगा.

'' आय ऍम सॉरी ... आय ऍम सो सॉरी '' वह बोला.

नॅन्सीने उसे एक चांटा मारनेका अविर्भाव किया. उसनेभी डरके मारे अपनी आंखे बंद कर अपना चेहरा दुसरी तरफ हटाया. नॅन्सी मनही मन मुस्कुराई. किसी छोटे बच्चेकी तरह मासूम भाव उसके चेहरेपर उभर आए थे. उसकी इसी मासूम अदापर तो वह फिदा हूई थी. उसने उसका चेहरा अपने हाथोंमे लिया और उसकी होंठोंको वह कसकर चुमने लगी. वह भी उसी तडप, उसी आवेगके साथ जवाबमें उसे चुमने लगा. अब तो उन्होने निचे फर्शपर बिछे गालीचेसे उठकर उपर जानेकेभी जहमत नही उठाई. असलमें वे एक क्षणभी गवाना नही चाहते थे. वे निचे गालीचेपरही लेटकर एकदुसरेंके उपर चुंबनकी बरसात करने लगे. चुमनेके साथही उनके हाथ एकदुसरेके कपडे निकालनेमें व्यस्त थे. जॉन अब उसके सारे कपडे निकालकर उसमें समा जानेको बेताब हूवा था. वह धीरे धीरे बडी बडी सांसोके साथ नॅन्सीके उपर झुकने लगा. इतनेमें... इतनेंमे उनके कमरेके दरवाजेपर किसीने नॉक किया. वे मानो जैसे थे वैसे बर्फ की तरह जम गए. गडबडाकर वे एक दुसरेकी तरफ देखने लगे.

हमें दरवाजा बजनेका आभास तो नही हुवा? ...

तब फिरसे एकबार दरवाजेपर नॉक सुनाई दी - इसबार थोडी जोरसे.

सर्विस बॉय तो नही होगा ...

'' कौन है ?'' जॉनने पुछा.

'' पुलिस ...'' बाहरसे आवाज आया.

दोनो गालिचेसे उठकर कपडे पहनने लगे.

पुलिस यहांतक कैसे पहूंच गई ?...

जॉन और नॅन्सी सोचने लगे.

उन्होने अपने कपडे पहननेके बाद जॉन सहमें हूए स्थितीमें दरवाजेतक गया. उसने फिरसे एक बार नॅन्सीकी तरफ देखा. अब इस परिस्थितीका सामना कैसे किया जाए इसकी वे मनही मन तैयारी करने लगे थे. जॉन कीहोलसे बाहर झांककर देखने लगा. लेकिन बाहर अंधेरेके सिवा कुछ नजर नही आ रहा था.

या उस कीहोलमें कुछ प्रॉब्लेम होगा ...

सावधानीसे, धीरेसे उसने दरवाजा खोला और दरवाजा थोडा तिरछा करते हूए बाहर झांकनेका प्रयास कर रहा था तभी ... क्रिस्तोफर, रोनॉल्ड, पॉल, और स्टीव्हन दरवाजा जोरसे धकेलते हूए कमरेमें घुस गए.

क्या हो रहा है यह समझनेके पहलेही क्रिस्तोफरने दरवाजेको अंदरसे कुंडी लगा ली थी. किसी चित्तेकी फुर्तीसे रोनॉल्डने चाकू निकालकर नॅन्सीके गर्दनपर रख दिया और दुसरे हाथसे वह चिल्लाये नही इसलिये उसका मुंह दबाया.

क्रिस्तोफरनेभी मानो पुर्वनियोजनकी तहत उसका चाकू निकालकर जॉनके गर्दनपर रखा और उसका मुंह दबाकर उसे दबोच लिया. मानो अब पुरी स्थिती उनके कब्जेमें आई हो इस तरहसे वे एकदुसरेकी तरफ देखकर अजीब तरहसे मुस्कुराए.

'' स्टीव्ह इसका मुंह बांध'' क्रिस्तोफरने स्टीव्हनको आदेश दिया.

जैसेही नॅन्सीने चिल्लानेकी कोशीश की रोनॉल्डने उसका मुंह जोरसे दबाते हुए और मजबुतीसे उसे दबोच लिया.

'' पॉल इसकाभी बांध...''

स्टीव्हनने जॉनका मुंह, हाथ और पैर टेपसे बांध दिया. पॉलने नॅन्सीका मुंह और हाथ बांध दीए.

उन्होने जिस फुर्तीसे यह सब हरकतें की उससे ऐसा प्रतित हो रहा था की वे ऐसे कामोंमे बडे तरबेज हो.

अब क्रिस्तोफरके चेहरेपर एक वहशी मुस्कुराहट छुपाए नही छुप रही थी.

'' ए ... इसके आंखोपर कुछ बांधरे ... बेचारेसे देखा नही जाएगा. '' क्रिस्तोफरने कहा.

स्टीव्हनने उनकेही सामानसे एक कपडा निकालकर जॉनकी आंखोपर बांध दिया. अब जॉनको सिर्फ अंधेरेके सिवा कुछ दिखाई नही दे रहा था. और सुनाई दे रहा था वह उन गिद्दोंकी वहशी और राक्षसी हंसी और नॅन्सीका दबा-दबाया हूवा चित्कार.


क्रमश:...

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