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March 6, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 16

ऑफिसबॉय चाय पाणी लेकर आनेसे बेकर जो हकिकत बता रहा था उसमें खंड पड गया. सॅमको और उसके साथीदारको आगेकी कहानी सुननेकी बडी उत्सुकता हो रही थी. सब लोगोंका चायपाणी होनेके बाद डिटेक्टीव्ह बेकर फिरसे आगेकी कहानी बताने लगा ....


... जॉनकी और नॅन्सीकी टॅक्सी रेल्वे स्टेशनपर पहूंच गई. दोनो टॅक्सीसे उतर गए. टॅक्सीवालेका किराया चूकाकर वे अपना सामान लेकर टिकीटकी खिडकीके पास चले गए. कहां जाना है यह उन्होने अबतक तय नही किया था. बस यहांसे निकल जाना है इतनाही उन्होने तय किया था. एक ट्रेन प्लॅटफॉर्मपर खडीही थी. जॉनने जल्दीसे उसी ट्रेनका टिकट निकाला.

प्लॅटफॉर्मपर वे अपना टिकट लेकर अपना रेल्वेका डिब्बा ढूंढने लगे. डिब्बा ढूंढनेके लिए उन्हे जादा मशक्कत नही करनी पडी. मुख्य दरवाजेसे उनका डिब्बा नजदिकही था. ट्रेन निकलनेका समय होगया था इसलिए वे तुरंत डिब्बेमें चढ गए. डिब्बेमें चढनेके बाद उन्होने अपनी सिट्स ढूंढ ली. अपने सिट के पास अपना सारा सामान रख दिया. उतनेमें गाडी हिलने लगी. गाडी निकलनेका वक्त हो चूका था. जैसेही गाडी निकलने लगी वैसे नॅन्सी जॉनको लेकर डिब्बेके दरवाजेके पास गई. उसे वहांसे जानेसे पहले अपने शहरको एक बार जी भरके देख लेना था. .

ट्रेनमें नॅन्सी और जॉन एकदम पास पास बैठे थे. उन्हे दोनोंको एकदुसरेका सहारा चाहिए था. आखिर उन्होने जो फैसला किया था उसके बाद उन्हे बस एकदुसरेकाही तो सहारा था. अपने घरसे सारे रिश्ते , सारे बंध तोडकर वे बहुत दुर जा रहे थे. नॅन्सीने अपना सर जॉनके कंधेपर रख दिया.

'' फिर ... अब कैसा लग रहा है '' जॉनने माहौल थोडा हलका करनेके उद्देशशे पुछा.

'' ग्रेट'' नॅन्सीभी झूटमुठ हंसते हूए बोली.

जॉन समझ सकता था की भलेही वह उपरसे दिखा रही हो लेकिन घर छोडने का दुख उसको होना लाजमी था. उसे सहारा देनेके उद्देशसे उसने उसे कसकर पकड लिया.

'' तुम्हे कुछ याद आ रहा है ?'' जॉनने उसे औरभी कसकर पकडते हूए पुछा.

नॅन्सीने प्रश्नार्थक मुद्रामें उसकी तरफ देखा.

'' नही मतलब कोई घटना कोई प्रसंग... जब मैने तुम्हे ऐसेही कसकर पकडा था. ''

'' मै कैसे भूल सकती हू उस घटना को... '' नॅन्सी उसने जब ब्लॅंकेटसे लपेटकर उसे कसकर पकडा था वह प्रसंग याद कर बोली.

'' और तुमभी ... '' नॅन्सी उसके गालपर हाथ मलते हूए उसे मारे हूए चाटेंकी याद देते हूए बोली.

दोनो खिलखिलाकर हंस पडे.

जब दोनोंका हसना थम गया नॅन्सी इतराते हूए उसे बोली , '' आय लव्ह यू''

'' आय लव्ह यू टू'' उसने उसे और नजदीक खिंचते हूए कहा.

दोनोभी कसकर एकदूसरेके आलिंगणमें बद्ध हो गए.

नॅन्सीने ट्रेनकी खिडकीसे झांककर देखा. बाहर सब अंधेरा छाया हूवा था. जॉनने नॅन्सीकी तरफ देखा.

'' तुम्हे पता है ... तुम्हे माफी मांगते वक्त वह फुलोंका गुलदस्ता मैने क्यों लाया था. ?'' जॉन फिरसे उसे वह माफी मांगनेका प्रसंग याद दिलाते हूए बोला. वह प्रसंग वह कैसे भूल सकता था ? उसी पलमेंतो उनके प्रेमके बिज बोए गए थे.

'' जाहिर है माफी जादा इफेक्टीव होना चाहिए इसलिए..." नॅन्सीने कहा.

'' नही .... अगर मै सच कहूं तो तुम्हे विश्वास नही होगा.'' जॉनने कहा.

'' फिर ... क्यों लाया था?''

'' मेरे हाथ फिरसे कोई अजीब इशारे कर गडबड ना करदे इसलिए ... नहीतो फिरसे शायद और एक चांटा मिला होता. '' जॉनने कहा.

नॅन्सी और जॉन फिरसे खिलखिलाकर हंस पडे.

धीरे धीरे उनकी हंसी थम गई. फिर थोडी देर सब सन्नाटा छाया रहा. सिर्फ रेल्वेका आवाज आता रहा. उस सन्नाटेमें न जाने क्यूं नॅन्सीको लगा की कोई इस ट्रेनमें बैठकर अपना पिछा तो नही कर रहा है..

नही ... कैसे मुमकीन है...

हम भाग जानेवाले है यह सिर्फ जॉन और उसके सिवा और किसीकोभीतो पता नही था...


क्रमश:...

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